" हाय रे गर्मी .... हाय रे बिजली....!!!"
मेरे हाथ में चाय का प्याला था ! चाय की चुस्कियां लेते अखबार पढने की आदत जो बन गई है! सूरज ने अपनी किरणों का उग्र रूप दिखाना शुरू कर दिया था! परिंदों के चहकने की आवाज़ आने लगी थी! गज़ट पूरा पढ़ भी नहीं पाया था कि बिजली चली गई! बिना पूर्व सूचना के बिजली वालों ने विद्युत प्रवाह बाधित कर आज दिन भर परेशान किया.! सूरज जागकर फिर सोने की तैयारी में था, दरअसल हवाओं के साथ उन्हें पैगाम जो आया था कि अब तुम छुप जाओ... चाँद उतरने वाला है.... सितारे विचरण करने वाले हैं ! परिंदे अपने ठीयों को जाने उद्यत थे! मेरे मोहल्ले की दोपहरी आँखों-आँखों में ही गुज़र गई! दिगर मोहल्ले के लोग नींद भांजकर जाग चुके थे पर बिजली वाले नहीं जग पाये! देरशाम रहत मिली! वज़ह चाहे जो भी हो पर अब सुनने मिल रहा है की बिजली के आम उपभोक्ताओं को बिजली दर में पंद्रह फीसदी करंट लगाने की पूरी तैयारी है! हाय गर्मी .... हाय बिजली....!!!"
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