फोही ' अन्दर यानी ' मछली ' फंसी.......

मैंने आज तक कभी ' मछली ' नहीं फंसाई. प्रयास किया पर आज भी नहीं फंसी. शिवनाथ पार में आज फगुआ केंवट गरी खेलते मिल गया. उसकी गरी के कांटे में एक ' सांप ' फंसा देख उत्सुकतावश मै भी वहां रुक गया. उसने बताया कि कांटे में फंसा सांप नहीं बल्कि मछली (सांप जैसी प्रजाति की) है . इसे " बाम्बी " कहते हैं.वो मछली हू-बहू सांप लग रही थी. मैने पूछा -मछली इसमें पकडाती कैसे है? उसने बताया कि दंगनी (बांस की छड़ी ) से बंधी तांत ( पतली मोम की रस्सी ) से लगी फोही ( मुर्गी पंखे का आधार वाला हिस्सा ) पानी के अन्दर डूबी तो समझो मछली फंस गई. फोही के अन्दर होते ही दंगनी खींच लो....मछली बाहर आ जाएगी. गरी खेलने की ईच्छा जाहिर करने पर फगुआ ने कांटे में चारा फंसाकर दंगनी मुझे थमाई. बताये मुताबिक फोही का निचला हिस्सा मै पानी में डाला. थोड़ी देर में फोही गोल-गोल घूमकर डूब गई. मैने दंगनी खींची पर.......... ये क्या? फोही और मछली बाहर आने का नाम ही नहीं ले रही थी. खींचने में काफी ताकत भी लग रही थी. " भाई, जल्दी आ ....दो-ढाई किलो की मछली फंस गई है " मैने फगुआ को आवाज़ लगाई. वो भी दौड़ के आया. अपने कपडे निकाल, वो सीधे गहरे पानी में जा घुसा. बाद में पता चला कि मछली-वछली नहीं अपितु गरी का कांटा पत्थर की खोह में जा अटका था. इसके बाद हंस-हंसकर हम दोनों का पेट दर्द करने लग गया था.

Comments

Popular posts from this blog

यहाँ भी " चूहे-बिल्ली " का खेल ...?

" तोर गइया हरही हे दाऊ....!!! "

" पालक का पेट भरती चिडिया "